samaj bandhuon se nivedan

समाज हित में समाज के समस्त बंधुओं की सेवा में दस वर्षों से निरंतर 'चौहान चेतना' पत्रिका का प्रकाशन हो रहा है लेकिन काफी पत्रिका के सदस्य व विज्ञापनदाता अपने भुलक्कड़ स्वभाव तथा लापरवाही के कारन पत्रिका शुल्क समय से नहीं भेजते, साथ ही शादी-विवाह के जो विज्ञापन प्रकाशित होते हैं, वह भी दो-दो, तीन-तीन साल तक छापते रहते हैं जिनमें से बहुतेरे लड़के-लड़कियों की शादी हो जाती है, यहाँ तक की बच्चे भी हो जाते हैं लेकिन विज्ञापन छापते रहते हैं और सम्बंधित पक्ष इसकी सूचना पत्रिका 'चौहान चेतना' को नहीं देते, जिससे लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है। समाज-बंधुओं की इस उदासीनता व लापरवाही के कारन अब निर्णय लिया गया है की पत्रिका के छपने वाले वैवाहिक विज्ञापन में विज्ञापन प्रकाशन प्रारंभ होने की तिथि अंकित कर दी जाएगी। उक्त तिथि से वह विज्ञापन एक वर्ष तक निरंतर प्रकाशित होगा, इसके बाद यदि सम्बंधित व्यक्ति का कोई जवाब नहीं आता है तो उस विज्ञापन का प्रकाशन बंद कर दिया जाएगा। आप सभी पाठकों व विज्ञापनदाताओं को सूचित करना है कि कागज मूल्यों में बढ़ोतरी के कारन पत्रिका का वार्षिक शुल्क ६० रु व विज्ञापन का वार्षिक शुल्क ६० रु हो गया है। कृपया सूचना से अवगत हों। समाज-बंधुओं द्वारा समय से पत्रिका का चंदा न भेजने पर पत्रिका बराबर घटे पर चल रही है, अगर इसी तरह आपका असहयोग रहा तो एक दिन पत्रिका बंद भी हो सकती है। हमारे समाज में कुछ विशेष लोग हैं जो पत्रिका के महत्त्व को समझते हुए अपना सहयोग देते रहते हैं, हम उनके आभारी हैं। आपका- सुक्खनलाल चौहान, संपादक- चौहान चेतना

Monday, March 14, 2011

चौहान चेतना, अंक- अक्टोबर, नोवंबर, दिसंबर 2010

सम्पादकीय- शुभकामना सन्देश

दीपों के पर्व पर अँधेरा न रहे।
सामाजिक विकास, देश की उन्नति के लिए जरूरी है की प्रत्येक अपनी इच्छा सोच के साथ विकास कार्यों में सहयोग करे। देश की उन्नति में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी निश्चित होती है। दीपावली पर्व खुशियों का पर्व है। इस पर्व पर हम सभी दीपों को प्रज्वलित कर वातावरण को प्रकाशमान करते हैं। इस पर्व पर हमें प्रेरणा लेना होगी की दीपों के प्रकाश की तरह हम भी अज्ञानता, अशिक्षा, कुरीतियों,भेदभाव, इर्ष्या , चापलूसी तिमिर दूर करें। आज मनुष्य लोभ एवं स्वार्थ के लिए दूसरों को कष्ट पहुचने में नहीं चूकता। इससे आपसी भाईचारा एवं बंधुत्व की भावना का ह्रास होता है। दीपावली पर्व के दिन हम सभी को मन से प्रयास करना चाहिए की द्वेष भावना से परे एकजुट होकर समाज व देश के विकास में सहयोग करे। समाज में व्याप्त अंधकार अज्ञानता, अशिक्षा तथा कुरीतियों को मिलजुल कर दूर करें।
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना।।
अँधेरा धरा पर कहीं रह ना जाए
इस दीपावली पर्व पर हम सभी को प्रेरणा तथा संकल्प लेना चाहिए की हम सामाजिक कुरीतियों को दूर कर आपसी सौहार्द्र बनाते हुए समाज की खुशहाली बढाने का काम करेंगे। सही मायने में तो जब तक व्यक्ति की अच्छी सोच नहीं होगी, तब तक समाज में अज्ञानता, अशिक्षा तथा फैली कुरीतियों दूर नहीं होंगी और मनुष्य के जीवन में अँधेरा बना ही रहेगा.... सुक्खनलाल चौहान

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